आईआईटी गोल्ड मेडिलिस्ट बने सन्यासी:- आज आपको एक ऐसे व्यक्ति के बारे में बताने जा रहे है। जो पहले दिल्ली के IIT के गोल्ड मेडलिस्ट रह चुके है। जिन्होंने बड़ी कंपनी में मैनेजर के रूप में भी काम किया, लेकिन फिर ऐसा क्या हुआ कि उनका मोह संसार से खत्म हो गया। जिसके बाद संन्यासी-साधु बन गए। बता दे कि इन्होंने हाल ही में एक इंटरव्यू में इस बात को बताया है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, संदीप कुमार भट्ट ने 28 साल की उम्र आते-आते संन्यास की राह पकड़ ली और वे 2007 में संन्यासी बन गए। संन्यासी बनने के बाद से वे स्वामी सुंदर गोपालदास हो गए। उन्होंने खुद इस बारे में बात करते हुए बताया कि, समाज में इंजीनियर, डॉक्टर, जजेज, साइंटिस्ट, नेता तो बहुत मिल जाएंगे, पर कोई ऐसा नहीं मिलेगा जिसका मिशन समाज को अलग राह दिखाना या फिर लोगो की चरित्र निर्माण करना हो। उनका मानना है कि, समाज में फैले कुरीतियों को ठीक करने का एक मात्र रास्ता धार्मिक शिक्षा है। उन्होंने कहा कि नोबेल पुरस्कार पाना कोई बड़ी बात नहीं है। लेकिन अगर आप किसी बिगड़े हुए शख्स को सुधार दें तो, यह वाकई बड़ा काम है। और वे इसी काम में लगे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि मशीन की क्वालिटी तो बढ़ रही है पर मनुष्य की क्वालिटी घट रही है। हर साल लाखों क्राइम होते है। यह इस बात का प्रमाण है कि इंसान की क्वालिटी खराब हो रही है।
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