गणेश चतुर्थी के मौके पर, भारतीय संसद को एक नई शुरुआत की ओर बढ़ते हुए देखा जा रहा है। यह एक महत्वपूर्ण पल है, जब पुराने संसद भवन को विदाई देने का समय आ गया है और नए संसद भवन का उद्घाटन हो रहा है।
भारत की लोकतांत्रिक यात्रा का महत्वपूर्ण पात्र रहे पुराने संसद भवन का विदाई और नए संसद भवन का उद्घाटन 18 जनवरी, 1927, के इतिहास से जुड़ा हुआ है। आज, जब हम गणेश चतुर्थी के पावन अवसर पर इस नए संसद भवन का आयोजन कर रहे हैं,नए संसद भवन का उद्घाटन साक्षर दृष्टि के लिए एक महत्वपूर्ण पल होगा। इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा नए भवन का उद्घाटन किया जाएगा, जिसमें संविधान की प्रतियात्रा भी शामिल होगी। यह महत्वपूर्ण होगा क्योंकि यह संविधान का पाठक और पालक दोनों होगा।
नई संसद भवन का श्री गणेश चतुर्थी के मौके पर हो रहा है
नई संसद भवन का श्री गणेश चतुर्थी के मौके पर हो रहा है, जो भारतीय लोकतंत्र के एक महत्वपूर्ण प्रतीक के रूप में माना जाता है। इस नए भवन में होने वाले संसदीय कार्यक्रमों से हम नए और उन्नत भारत की ओर बढ़ रहे हैं। पुराने संसद भवन को विदाई देने के लिए, सेंट्रल हॉल में एक विशेष कार्यक्रम आयोजित होगा। इसमें सभी सांसद भाग लेंगे और संसद की पुरानी इमारत को विदाई देंगे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पैदल ही नई इमारत में पहुंचेंगे और संविधान को हाथ में लेंगे।
नई संसद भवन में प्रारंभ के दिन, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पैदल ही नई इमारत में पहुंचेंगे और संविधान को हाथ में लेंगे। इसके साथ ही, सभी मंत्री और सांसद भी नई इमारत में प्रवेश करेंगे, और वहां संसदीय कार्यवाही की शुरुआत होगी। इस खास सत्र में, लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, और अन्य महत्वपूर्ण व्यक्तियों की मौजूदगी होगी। वे सभी नई इमारत में नए पहचान पत्रों के साथ प्रवेश करेंगे और संसद की कार्यवाही को आरंभ करेंगे।
लोकसभा में सबसे ज्यादा समय तक रहने वाली सांसद मेनका गांधी
लोकसभा में सबसे ज्यादा समय तक रहने वाली सांसद मेनका गांधी, राज्यसभा में सबसे लंबे वक्त से सांसद मनमोहन सिंह, और दोनों सदनों में ज्यादा समय तक सांसद रहे शिबुसोरेन अपने संसदीय यात्रा के अनुभव साझा करेंगे। सेंट्रल हॉल के इस कार्यक्रम में, भारत को 2047 तक एक विकसित देश बनाने का संकल्प भी लिया जाएगा, जिससे हम आगामी पीढ़ियों के लिए सुखमय और सशक्त भविष्य की दिशा में कदम बढ़ाएंगे।
पुराने संसद भवन का महत्व
पुराने संसद भवन ने भारतीय लोकतंत्र के महत्वपूर्ण क्षणों क witness किया है और इसके 96 वर्षों के इतिहास में अनगिनत महत्वपूर्ण घटनाओं का साक्षी रहा है। इसे आज विदाई दिया जा रहा है, लेकिन इसका यादगार योगदान सदैव याद रखा जाएगा। इस नए और उत्कृष्ट संसद भवन के साथ, हम भारतीय लोकतंत्र के नए चरण की ओर बढ़ रहे हैं, और हमारी संसदीय प्रक्रिया को मॉडर्न और उपयोगकर्ता-मित्र होने का एक नया पहलु दिखा रहे हैं।