भारतीय नौसेना के जवान हमारी सेवा में सदैव लगी रहती है। देशवासियो के लिए वो दिन रात वॉडर पर तैनात रहते है। यू तो दूश्मनों से लड़ने के लिए भारतीय सेना हमेशा तैयार रहती है। हलांकि बीच बीच में नई औजारो के साथ कई तरह के युद्धाभ्यास भी करती है। ताकि ज़रूरत पड़ने पर दुश्मनों को हराया जा सके। आपके जानकारी के लिए बता दे कि हमारी सुरक्षा करते समय सेना को कई तरह के दुश्मनों से लड़ना पड़ता है। कई बार गोलियों का मुकाबला करना पड़ता है तो कई बार बड़े बड़े औजारो के साथ लड़ना पड़ता है।
23 जनवरी 2023 को नौसेना में पनडुब्बी वागीर को किया जाएगा शामिल
वागीर के साथ बढ़ेगी नौसेना की ताकत:- ऐसे में सेना को और ताकतवर बनाने के लिए एक बार फिर कलवारी श्रेणी की पांचवीं पनडुब्बी वागीर को नौसेना में 23 जनवरी 2023 को शामिल किया जाएगा। यह कलवारी क्लास के पहले बैच की छह पनडुब्बियों में से एक है। इसे रक्षा एक्सपर्ट साइलेंट किलर शार्क कह रहे हैं। यह चकमा देकर हमला करने में माहिर है। समुद्र में जब यह गोता लगाएगी तो दुश्मन को इसका पता भी नहीं चलेगा। इसे प्रोजेक्ट पी- 75 के तहत बनाया गया है। इसके शामिल होने से भारतीय नौसेना की ताकत बढ़ेगी और दुश्मन की रूह कांपेगी। क्योंकि ये खतरनाक मिसाइलों और टॉरपीडो से लैस होगी। ये समंदर के अंदर बारूदी सुरंग बिछाने में सक्षम है। इसे 350 मीटर की गहराई में तैनात किया जा सकता है। यह स्टेल्थ तकनीकों से लैस है, जिसकी वजह से दुश्मन को इसका आसानी से पता नहीं चलेगा।
दो साल की मेहनत से तैयार हुआ साइलेंट किलर शार्क
इसमें एंटी-शिप मिसाइलों को भी लगाया गया है। यह पूरी तरह से स्वदेशी पनडुब्बी है। यह पनडुब्बी दुश्मन को खोजकर उस पर सटीक निशाना लगा सकती है। इसकी सबसे बड़ी खासियत ये है कि ये दुश्मन के रडार की पकड़ में नहीं आएगी। इस पनडुब्बी में ऑक्सीजन बनाने की भी क्षमता है। इसलिए यह लंबे समय तक पानी में रह सकती है। अधिकारियों ने बताया कि भारत में इन पनडुब्बियों का निर्माण, मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड मुंबई द्वारा मैसर्स नेवल ग्रुप, फ्रांस के सहयोग से किया गया है। हालांकि कलवारी श्रेणी की चार पनडुब्बियों को पहले ही भारतीय नौसेना में शामिल किया जा चुका है। इसे बनाने की शुरुआत 12 नवंबर 2020 में हुई थी।