राजीव गांधी और सोनिया गांधी की “प्यार की कहानी “

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Rahul gandhi
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राजीव गांधी, जो भारत के सबसे युवा प्रधानमंत्री थे। वे politics में कभी नहीं आना चाहते थे। लेकिन उस दौरान वैसी स्थितियाँ बन गई। जिसके कारण उन्हें राजनीति में आना पड़ा। राजनीति के अलावा उनका Love life भी काफी रोमांचक रहा है। इनकी पूरी “प्यार की कहानी” फिल्मी अंदाज में है। 

राजीव को सोनिया से हुआ था ऐसे प्यार :

sonia and love
sonia and love

राजीव गांधी ने अपनी पढ़ाई England से की थी। उसी दौरान सोनिया और राजीव गांधी की पहली मुलाकात साल 1965 में Cambridge यूनिवर्सिटी के वार्सिटी नामक एक ग्रीक रेस्टोरेंट में हुई थी। इसी जगह पर राजीव ने पहली बार सोनिया को देखा था। सोनिया को पहली नजर देखते ही राजीव उन्हें अपना दिल दे बैठे, राजीव सोनिया से बात करना चाहते थे। उनके पास जाकर बैठना चाहते थे, जिसके बाद उन्होंने रेस्टोरेंट के मालिक से request की, कि वो उन्हें सोनिया के पास वाली सीट दे दे। जब राजीव ने request की तो Restaurant मालिक ने कहा, कि आप अगर ऐसा चाहते हो तो दुगुना पैसा देना होगा, इस पर राजीव तुरंत तैयार हो गए थे। रेस्टोरेंट के मालिक ने, यह वाक्या एक इंटरव्यू में बताया था, और उन्होंने कहा कि, उस समय ऐसा प्यार देखने को मिला जैसा सिर्फ किताबो के कहानी में होता है। राजीव ने उसी वक्त रेस्टोरेंट में ही एक पेपर नैपकिन पर, सोनिया के लिए एक कविता लिखा, और उसे वहां की सबसे महंगी वाइन की बॉटल के साथ सोनिया के पास भेज दिया । बस यही से राजीव गांधी और सोनिया के प्यार की शुरूआत हो गई, पहली नजर में सोनिया को भी राजीव पसंद आ गए। हालांकि सोनिया को उस समय यह नहीं मालूम था कि राजीव भारत के सबसे बडे़ राजनीतिक गांधी परिवार से belong करते हैं। 

प्यार में आई रुकावट :

प्यार की jeet
प्यार की jeet

सोनिया एक साधारण परिवार से थीं। कैंब्रिज में पढ़ाई के साथ, वह रेस्टोरेंट में पार्ट टाइम काम भी करती थीं। राजीव गांधी से मिलने के बाद, सोनिया उन्हें अपना दिल दे बैठीं। राजीव के प्यार ने उन्हें, इतना दीवाना बना दिया था कि, उन्होंने खत लिखकर, राजीव के बारे में अपने परिवारवालों को बताया। उन्होंने अपने खत में लिखा मैं एक भारतीय लड़के से प्यार करती हूं। वह एक खिलाड़ी है। दोनों के प्यार के बारे में जब सोनिया के पिता को मालूम हुआ तो, उन्हें इस बात पर खुशी नहीं हुई। उनके मन में दूर देश में बेटी के रिश्ते को लेकर, और भारत के राजनीतिक हालात को लेकर भय था। राजीव गांधी स्वयं सोनिया के घर, उनके पिता से उनका हाथ मांगने चले गए। इसके बाद सोनिया के पिता ने शर्त रखी कि, वह शादी के लिए तभी राजी होंगे, जब दोनों एक साल तक किसी से नहीं मिलेंगे और इसके बाद भी अगर दोनों को लगेगा कि वह एक.दूजे के बिना नहीं रह सकते, तो वह शादी की अनुमति दे देंगे। राजीव और सोनिया के लिए एक साल तक एक.दूसरे से मिले बिना रहना आसान नहीं था, लेकिन दोनों ने बड़ी मुश्किल से एक साल का वक्त काटा। इस दौरान दोनों का प्यार और बढ़  गया। इसके बाद सोनिया के पिता के पास दोनों के रिश्ते को स्वीकार करने के अलावा कोई और बहाना नहीं था।

आखिरकार हो गई “प्यार की जीत” :

रकवात इन प्यार
रकवात इन प्यार

राजीव गांधी अक्सर अपनी मां इंदिरा गांधी को पत्र लिखकर, सोनिया के बारे में बताया करते थे। एक दिन इंदिरा गांधी ने उनसे कहा कि वह जवाहर लाल नेहरू से जुड़ी प्रदर्शनी के लिए लंदन आ रही हैं। इस दौरान वह सोनिया से मिलना चाहती हैं। इंदिरा और सोनिया की मुलाकात हुई। उन्होंने सोनिया से उनके  बारे में और पढ़ाई के बारे में बातें की। इसके बाद इंदिरा ने, उनसे कहा कि वह बिल्कुल भी डरें नहीं, क्योंकि वह खुद अपनी युवावस्था में प्यार कर चुकीं हैं। सोनिया गांधी पहली बार भारत 1968 में आईं थी। चूंकि उस समय इंदिरा गांधी भारत की प्रधानमंत्री थीं, तो शादी से पहले सोनिया को अपने घर में रखना विरोधियों को मौका देने के समान था। इसलिए सोनिया गांधी के रहने का इतंजाम अमिताभ बच्चन के घर में किया गया था।

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