राजनीति के गलियारे में ‘रॉबिनहुड’ अंदाज के लिए चर्चित बिहार के बाहुबली नेता आनंद मोहन कुछ दिनों पहले ही जेल से रिहाई हुई थी, लेकिन इसके बाद से ही उनकी रिहाई पर सवाल उठाए जा रहे हैं। बता दें आनंद मोहन DM कृष्णैया हत्याकांड के मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहे थे। उनकी रिहाई के बाद कृष्णैया की पत्नी उमा देवी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। इस याचिका पर 8 मई को सुप्रीम कोर्ट सुनवाई करेगा।

बता दें आनंद मोहन पर गोपालगंज जिले के तत्कालीन डीएम (DM) जी कृष्णैया की हत्या का आरोप है। जानकारी के मुताबिक, आनंद मोहन ने दिवंगत आईएएस अधिकारी जी कृष्णैय्या की हत्या के लिए भीड़ को उकसाया था। इस मामले में उन्हें उम्रकैद की सजा हुई थी। हालांकि बीते दिनों आनंद मोहन को नियमों में बदलाव कर समय से पूर्व रिहा कर दिया गया।
5 तरह के अपराध को जघन्य माना गया था।
बात दें साल 2012 में बिहार सरकार द्वारा जेल नियमावली बनाई गई थी, जिसके तहत 5 तरह के अपराध को जघन्य माना गया था। इस पांच अपराधों में आतंकवाद, डकैती के साथ हत्या, रेप के साथ हत्या, एक से अधिक हत्या और सरकारी कर्मचारी की हत्या शामिल था। जो भी आरोपी इन 5 में से एक अपराध करते हुए पाया जाता है, उसे उम्र कैद की सजा होगी और साथ ही 20 साल से पहले किसी तरह की छूट न देने का प्रावधान था। लेकिन कुछ समय पहले ही बिहार सरकार ने जेल नियमावली में बदलाव कर दिया और नितीश सरकार ने आईएएस अधिकारी की हत्या को सामान्य हत्या की श्रेणी में रख दिया गया। इसी के साथ आनंद मोहन के जेल से बाहर आने का रास्ता साफ हो गया।
आनंद मोहन को बिहार की सहरसा जेल से रिहा कर दिया गया है।

पिछले गुरुवार सुबह 4:30 बजे आनंद मोहन को बिहार की सहरसा जेल से रिहा कर दिया गया है। पहले आनंद मोहन को दोपहर में एक बजे रिहा किया जाना था, लेकिन ज्यादा भीड़ होने के डर से उसे वक्त से पहले ही रिहा कर दिया गया। बाहुबली आनंद मोहन की रिहाई के बाद दलित संगठन भीम आर्मी भारत एकता मिशन के राज्य प्रभारी अमर ज्योति ने याचिका दायर कर कहा था कि, बिहार सरकार ने अपराधियों को बचाने के लिए कानून में परिवर्तन कर गलत काम किया है। अमर ज्योति का कहना है कि, ‘जनता उन्हें माफ नहीं करेगी।’