AI के जन्मदाता जेफ्री हिंटन ने गूगल से दिया इस्तीफा, भविष्य को लेकर कही डराने वाली बात

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आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस टेक्नोलॉजी को लेकर आए दिन कोई ना कोई खबर सामने आती रहती है। इस तकनीक की मदद से वो काम किए जा रहे हैं, जिनकी इंसान कल्‍पना भी नहीं कर सकता। जिस शख्स ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस टेक्नोलॉजी को विकसित किया है, उनका नाम जेफ्री हिंटन। जेफ्री हिंटन को ‘एआई के गॉडफादर’ भी कहा जाता है। हिंटन ने 75 साल की उम्र में Google से इस्तीफा दे दिए है। साथ ही उन्होंने AI को लेकर बढ़ रहे कुछ खतरों से भी सावधान किये है। 

दरअसल, जेफ्री हिंटन ने अपने ऑफिशियल ट्विटर अकाउंट से अपने इस्तीफे की जानकारी दी है। उन्होंने ट्वीट में कहा है कि, ‘वे पिछले सप्ताह ही गूगल से इस्तीफा दे चुके हैं।’ बता दें हिंटन ने 1 दशक से भी ज्यादा समय तक गूगल में काम किया और AI के सम्बंधित क्षेत्र में अपना योगदान दिए | उन्होंने अपने काम पर पछतावा भी व्यक्त किये है।   

AI की खोज करना उनकी सबसे बड़ी भूल थी

हिंटन ने AI चैटबॉट्स को लेकर कुछ डरावने खतरों के बारे में बताये है। उन्होंने कहा, ‘जहां तक मैं कह सकता हूं, फिलहाल वे हमसे ज्यादा बुद्धिमान नहीं हैं। लेकिन मेरा मानना है कि वे जल्द ही हो जाएंगे।’ उन्होंने कहा कि, AI की खोज करना उनकी सबसे बड़ी भूल थी। उन्होंने कहा कि, वह खुद को ऐसे दिलासा देते हैं कि यदि वह ऐसा नहीं करते तो कोई और करता। आज कंपनियां चैट जीपीटी जैसा टूल बनाने के लिए पागल हो रही हैं और इस क्षेत्र में कम्पटीशन को रोकना असंभव है। 

जेफ्री हिंटन को पहली सफलता साल 2012 में मिली थी

गौरतलब है कि, एआई को लेकर जेफ्री हिंटन को पहली सफलता साल 2012 में मिली थी। उन्होंने अपने दो छात्रों के साथ मिलकर एआई आधारित ऐसे एल्गोरिथम को विकसित किये थे। यह इमेज के विश्लेषण करने और कॉमन एलिमेंट को पहचानने में सक्षम था।

कौन हैं जेफ्री हिंटन?

बता दें जेफ्री हिंटन ने साल 1970 में कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी से एक्सपेरिमेंटल साइकोलॉजी में बीए और फिर 1978 में एडिनबर्ग से आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से पीएचडी किये है। सबसे पहले उन्होंने ससेक्स यूनिवर्सिटी और कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी सैन डिएगो में पोस्टडॉक्टोरल काम किये। फिर उन्होंने 5 साल तक कार्नेगी-मेलन यूनिवर्सिटी में कंप्यूटर साइंस की फैकल्टी मेंबर के तौर पर काम किये। इसके बाद हिंटन कैनेडियन इंस्टीट्यूट फॉर एडवांस्ड रिसर्च के फेलो बन गए और फिर वो टोरंटो यूनिवर्सिटी में कंप्यूटर साइंस डिपार्टमेंट में चले गए।

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