जोशीमठ से कुछ दिन पहले ही एक खबर आयी थी जिसमे जोशीमठ के कई घर ,अस्पताल ,स्कूल में दरार आ गयी थी। इस घटना का इसरो ने जायजा लेते हुई सेटेलाइट से तस्वीरें ली है इन तस्वीरों से पता चल पायेगा की जोशीमठ का कौन सा हिस्सा धस सकता है। इन तस्वीरों को ISRO के नेशनल रिमोट सेंसिंग सेंटर ने जारी की है इन तस्वीरों को कार्टोसैट – 2S सेटेलाइट से लिया गया है। इसरो के रिपोर्ट के बाद लोगो की परेशानिया और बढ़ गयी है इसरो की माने तो जोशीमठ का पूरा शहर धसने वाला है। शायद इसी को देखकर राज्य सरकार लोगो को इस डेंजर जोन से बाहर निकाल रही है।
12 दिनों मे बढ़ी जमीन धसने की तीव्रता -8.9 से बढ़कर हुआ -5.5 सेंटीमीटर !
आईये जानतें है की इस रिपोर्ट में क्या कहा गया है। इसरो का कहना है की अप्रैल से नबम्बर 2022 तक जमीन धसने का सिलसिला काफी धीमा था पर इन सात महीनो में जोशीमठ -8.9 सेंटीमीटर धसा है। लेकिन 27 दिसंबर 2022 से 8 जनवरी 2023 तक के 12 दिनों में जमीन धसने की तीव्रता -5.4 सेंटीमीटर हो गयी है इसका मतलब अब यह काफी तेजी से बढ़ रहा है।
इस तस्वीर में देख सकतें है की लाल रंग की धारिया सड़कें है और नीले रंग का जो बैकग्राउंड है वह जोशीमठ के निचे का ड्रेनेज सिस्टम है। जिस भी जगह पर ड्रेनेज सिस्टम होगा वहां की मिटटी धसेंगी ही।
औली रोड और अलकनंदा नदी आ सकता है इसके चपेट में
इसे कम करने के लिए वैज्ञानिको ने पहले भी सभी को सचेत किया था की ढलान की मजबूती को बनाये रखने के लिए पोर प्रेशर को कम रखना है यानी पानी का रिसाव कम करना है। पानी के अंदर कम जाने से ढलान कम खोखला होगा। जोशीमठ का मध्य हिस्सा सबसे ज्यादा धसान से प्रभावित है इस धसान का ऊपरी हिस्सा जोशीमठ -औली पर स्थित है यानी औली रोड भी धसने बाला है। जोशीमठ का निचला हिस्सा जो अलकनंदा नदी के ऊपर स्थित है वह भी इसके चपेट में आ सकता है। हालाँकि अभी ये इसरो का प्राइमरी रिपोर्ट है फिलहाल InSAR रिपोर्ट की स्टडी अभी बाकि है।